
बिहार में SIR को लेकर राजनीतिक विवाद: पूरा मामला
क्या है SIR (Special Intensive Revision)?
चुनाव आयोग ने बिहार में “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” (SIR) के तहत 1 अगस्त 2025 को विधानसभा के 243 क्षेत्रों के लिए 90,712 मतदान केंद्रों की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की। इस अभियान के तहत सभी मतदाताओं से नए फॉर्म और दस्तावेज मांगे गए थे – चाहे वे पहले से ही सूची में शामिल हों या नहीं।
क्यों गरमाई है राजनीति?
- विरोधी दलों का आरोप है कि इस ड्राफ्ट लिस्ट में 65 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं हैं, खासकर प्रवासी और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं के नाम कटे हैं।
- कांग्रेस के राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं ने इसे “वोट चोरी” और “जनसंख्या के बड़े हिस्से को हाशिए पर भेजने की साजिश” बताया है। विपक्ष ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर भाजपा के पक्ष में अनियमितता का आरोप लगाया है।
- जानकारों का कहना है कि पटना, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज जैसे जिलों में सर्वाधिक नाम हटे; मृत घोषित, स्थानांतरित, या कई स्थानों पर रजिस्ट्रेशन जैसी श्रेणियों में लाखों नाम हट गए हैं।
- RJD नेता तेजस्वी यादव का नाम भी लिस्ट में नहीं था, जिस पर आयोग ने तकनीकी सफाई दी है।
चुनाव आयोग का पक्ष
- आयोग ने अपनी प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमों के अनुरूप बताया है:
- 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं – कोई भी मतदाता या पार्टी नाम जुड़वाने, हटवाने या सुधार के लिए फॉर्म भर सकता है।
- आयोग ने सभी 12 मान्यता प्राप्त दलों को सूची डिजिटल और फिजिकल रूप में उपलब्ध कराई है, ताकि वे नामों की जांच और आपत्ति कर सकें।
- बिना उचित सुनवाई और लिखित आदेश के कोई नाम नहीं काटा जाएगा; DM या CEO के पास अपील की जा सकती है।
- सूची में ‘मृत’, ‘स्थानांतरित’, और ‘डुप्लिकेट’ की श्रेणी साफ सार्वजनिक की गई है।
ज़मीनी असर और बहस
- बिहार में अफवाहें व असंतोष – बहुत से लोगों का मानना है कि यह प्रक्रिया गरीब, प्रवासी, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्गों को निशाना बना रही है।
- कई इलाकों में जन्म प्रमाण पत्र एवं कागजात के लिए रिश्वत, और डिजिटल प्रक्रिया के कारण तकनीकी दिक्कतों की भी शिकायतें हैं।
- प्रशासन और राजनीतिक दलों की चिंता यह भी है कि लाखों मतदाताओं को चुनाव से बाहर करने की आशंका है, इसलिए अभियान की निष्पक्षता और भरोसे को लेकर बहस तेज़ हो गई है।
आगे की प्रक्रिया
- 1 सितंबर 2025 तक आपत्तियां ली जाएंगी और 25 सितंबर तक उनका निपटारा होगा। 30 सितंबर 2025 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
- आयोग बार-बार स्पष्ट कर रहा है कि वास्तव में पात्र मतदाताओं को सूची से नहीं हटाया जाएगा और सभी के लिए दोबारा नाम जुड़वाने का मौका है।
बिहार SIR विवाद लोकतंत्र, पारदर्शिता और समावेशन को लेकर मौजूदा राजनीति का बड़ा विषय बना हुआ है।
अगर आप या आपके परिवार का नाम सूची में नहीं है, तो संबंधित फॉर्म (फॉर्म 6 नाम जुड़वाने के लिए) अवश्य भरें और स्थानीय BLO या ERO से संपर्क करें।