
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लोक भवन में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने प्रदेश में विद्यालयों की पेयरिंग की प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और छात्रों के सर्वांगीण विकास के हित में की जा रही है।
मंत्री संदीप सिंह ने साफ किया कि पेयरिंग का मतलब किसी विद्यालय को बंद करना या पदों में कटौती करना नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ जिलों में इस प्रक्रिया को लेकर जो शिकायतें आई हैं, उन्हें गंभीरता से लिया गया है और जहां आवश्यक था, वहां पुराने विद्यालयों को पुनः संचालित करने के आदेश दिए गए हैं। पेयरिंग के तहत जुड़े किसी भी प्राथमिक विद्यालय की दूरी एक किलोमीटर से अधिक नहीं होगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी विद्यालय स्थायी रूप से पेयर नहीं किया गया है। यदि कहीं छात्रों को बैठने में असुविधा होती है या संख्या बढ़ती है, तो पुराने भवनों में फिर से संचालन शुरू किया जाएगा। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) कोड में कोई बदलाव नहीं होगा। सभी स्कूलों में 15 अगस्त तक प्री-प्राइमरी और बाल वाटिका की गतिविधियां संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि कोई भी कक्षा खाली न रहे।
मंत्री ने कहा कि पेयरिंग बच्चों को बेहतर शिक्षण संसाधन और पर्यावरण उपलब्ध कराने की एक महत्वपूर्ण पहल है। अत्यल्प नामांकन वाले स्कूलों में आवश्यक संवाद, पियर लर्निंग, समूह कार्य और खेलकूद आदि गतिविधियां प्रभावित होती हैं, जिससे बच्चों का सशक्त विकास संभव नहीं होता। जब बच्चों को पर्याप्त नामांकन वाले संकेंद्रित विद्यालयों से जोड़ा जाता है तो उन्हें बेहतर सीखने का वातावरण मिलता है।
इस प्रक्रिया से प्रत्येक कक्षा में शिक्षक उपलब्धता सुनिश्चित होगी, शिक्षक-छात्र अनुपात सुधरेगा तथा शिक्षकों को नवीन शिक्षण तकनीकों का इस्तेमाल करने का लाभ मिलेगा। इससे न केवल सीखने की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास और भागीदारी की भावना भी विकसित होगी।